Thursday, 3 January 2013

"Avtar Bani"

धन निरंकार जी।।।।

"उच्चा सभ तो है दर तेरा महिमा तेरी अपरम्पार।

गुण  तेरे ने गिणती बाहिरे मेहरां दा नही कोई शुमार।

निस दिन गौन्दै गुण जो तेरे अंग संग तक तैनू दातार।

चरन तेरे जे पत्थर छू लए भवसागर हो जांदै पार।

पाक पवितर होंदै  पापी बणदै मूरख वी हुश्यार।

दासनदास दास हो  रह्न्दै जां बलिहार कहे अवतार।

धन निरंकार जी।।।।

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