धन निरंकार जी।।।
"खेती चाहे किसे दी होवे सूरज कदे चितारे ना।
चन्न सभनां नू दए चानणी रूप करूप विचारे ना।
पाणी सब दी प्यास बुझावे ऊँच नीच एह वेखे ना।
हवा कदे वि माड़ा चंगा छोट्टा वड्डा देखे ना।
पूरा सतगुरु वी जग अन्दर सब नु गले लगान्दा ए।
कहे अवतार जेहो जेहा होवे सभ नु चरनी लान्दा ए।"
धन निरंकार जी।।।
"खेती चाहे किसे दी होवे सूरज कदे चितारे ना।
चन्न सभनां नू दए चानणी रूप करूप विचारे ना।
पाणी सब दी प्यास बुझावे ऊँच नीच एह वेखे ना।
हवा कदे वि माड़ा चंगा छोट्टा वड्डा देखे ना।
पूरा सतगुरु वी जग अन्दर सब नु गले लगान्दा ए।
कहे अवतार जेहो जेहा होवे सभ नु चरनी लान्दा ए।"
धन निरंकार जी।।।
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God Is one