Friday, 3 May 2013

{• धन निरंकार जी•

(¯`• सतगुरु दें.प्यारे संतो महापुरषों •´¯) 
जिस तरह पवित्र नदी के दो किनारे होते है और गंदे नाले के भी,
बस एहम तो यह बात होती है कि उन किनारों के बीच पानी कैसा
बह रहा है, साफ़ या गन्दा ? इसी तरह हर व्यक्ति का भी एक किनारा
जन्म और दूसरा किनारा मृत्यु होता है , बस एहम तो यह होता है कि
उसने जन्म और मृत्यु के बीच जीवन कैसा जीया कर्म कैसा किया ,
۩¸.•°*”˜˜”*°•.¸ -मानव जैसा या दानव जैसा ?¸.•°*”˜˜”*°•.¸ -۩
{• धन निरंकार जी•

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