धन निरंकार जी।।।।
"किस घड़ी ए घाड़त एहदी कौन बनावण वाला ए।
आपे आप है सब कुछ आपे हर इक शै तो बाला ए।
कदद ते बुत नहीं एह्दा कोई न गोरा न काला ए।
निरा नशा ए ज़ात खुद ही अजली मय दा प्याला ए।
कहे अवतार गुरु हथ कुंजी एसे दिता ताला ए।
ले कुंजी जो ताला खोले विरला किस्मत वाला ए।
धन निरंकार जी।।।।
"किस घड़ी ए घाड़त एहदी कौन बनावण वाला ए।
आपे आप है सब कुछ आपे हर इक शै तो बाला ए।
कदद ते बुत नहीं एह्दा कोई न गोरा न काला ए।
निरा नशा ए ज़ात खुद ही अजली मय दा प्याला ए।
कहे अवतार गुरु हथ कुंजी एसे दिता ताला ए।
ले कुंजी जो ताला खोले विरला किस्मत वाला ए।
धन निरंकार जी।।।।
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