Sunday, 7 October 2012

"Bhakti geet:"

धन निरंकार जी।।

सेवा कर ले सत्संग कर ले , मन प्यार से भर ले गागरिया
जीने का ढंग, भक्ति का रंग, देता है ये सतगुरु सांवरिया

रहता तो है ये परदे में मगर, गुरु रीझे तो मिल जाता है,
मुरझाया हुआ मन का कमल, इसे पाकर पल में खिल जाता है.
सेवा कर ले सत्संग कर ले......................

अभिमान जहाँ, न रहता वहां, भोले भालों के साथ रहे
जो दीन है ये तो उनका है, सब इसको दीना नाथ कहें.
सेवा कर ले सत्संग कर ले..........

रहमत की नज़र नारी नर पर, पड़ जाएँ बहारें आ जाएँ
सूखी डाली पर हरियाली, ये जग का माली ले कर आये
सेवा कर ले सत्संग कर ले..........

ये ऋतु रहमत की, आ जाओ दयालु है आया,
इसके चरणों पर सर रख दो, सारी खुशियाँ देने आया.
सेवा कर ले सत्संग कर ले..........

धन निरंकार जी।।


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