DHAN NIRANKAR JI .....
महापुर्ष समझाते है की अगर इन्सान प्रभु परमात्मा , इस निरंकार को भुलाकर भौतिक पदार्थों को ही अहमियत देता रहेगा , तो कही न कही अवश्य लड़ खड़ा जायेगा, कही न कही जरूर डगमगा जायेगा ! जैसे एक मकान है, हम सभी जानते है की मकान इंसानों के लिये बने है ! अगर इससे उल्टा सोचना शुरू कर देंगे, अहमियत देना शुरू कर देंगे, यानि अगर हम ये मान लेंगे की इंसान मकानों के लिए बने है, तो ये हमारी भूल होगी ! जूते पाव के लिए बने है, ये नहीं की पाव जूतों के लिए बने है! यह अहमियत देने का सवाल की हमने ऊँचा दर्जा किसको देना है। हमे सबसे ऊँचा दर्जा इस निरंकार परमात्मा की जानकारी को, इसकी संभल को ही देना है ! इसके बिना वातावर्ण शांत होना संभव नहीं! अगर भौतिक तरक्की के साथ परमात्मा की जानकारी जूड जाये परमात्मा हमारे जीवन का अंग बन जाये तो दुःख, परेशानिया स्वयं दूर होती चली जाती है।
DHAN NIRANKAR JI......
महापुर्ष समझाते है की अगर इन्सान प्रभु परमात्मा , इस निरंकार को भुलाकर भौतिक पदार्थों को ही अहमियत देता रहेगा , तो कही न कही अवश्य लड़ खड़ा जायेगा, कही न कही जरूर डगमगा जायेगा ! जैसे एक मकान है, हम सभी जानते है की मकान इंसानों के लिये बने है ! अगर इससे उल्टा सोचना शुरू कर देंगे, अहमियत देना शुरू कर देंगे, यानि अगर हम ये मान लेंगे की इंसान मकानों के लिए बने है, तो ये हमारी भूल होगी ! जूते पाव के लिए बने है, ये नहीं की पाव जूतों के लिए बने है! यह अहमियत देने का सवाल की हमने ऊँचा दर्जा किसको देना है। हमे सबसे ऊँचा दर्जा इस निरंकार परमात्मा की जानकारी को, इसकी संभल को ही देना है ! इसके बिना वातावर्ण शांत होना संभव नहीं! अगर भौतिक तरक्की के साथ परमात्मा की जानकारी जूड जाये परमात्मा हमारे जीवन का अंग बन जाये तो दुःख, परेशानिया स्वयं दूर होती चली जाती है।
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God Is one