धन निरंकार जी।।।।
समय गया फिर हत्थ नही आउणा अंत समय पछताएंगा।
धरमराय ने जम्म जां घल्ले रोयेंगा कुरलाएंगा।
संगी साथी जिन्ने तेरे कम किसे ने आउणा नहीं।
सक्के साक स्बन्धिया चों वि आ के किसे बचाऊणा नहीं।
आखर नु कम गुरु ने आउणा गोरे चिट्टे चम नहीं।
अवतार दे सिख तों लेखा मंगे धरमराय दा दम नही।
धन निरंकार जी।।।।
समय गया फिर हत्थ नही आउणा अंत समय पछताएंगा।
धरमराय ने जम्म जां घल्ले रोयेंगा कुरलाएंगा।
संगी साथी जिन्ने तेरे कम किसे ने आउणा नहीं।
सक्के साक स्बन्धिया चों वि आ के किसे बचाऊणा नहीं।
आखर नु कम गुरु ने आउणा गोरे चिट्टे चम नहीं।
अवतार दे सिख तों लेखा मंगे धरमराय दा दम नही।
धन निरंकार जी।।।।
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