धन निरंकार जी।।।।
"सूरज ते चन्न कीहदे हुक्म नाल चढ़दे ते डुब जांदे ने।
किहदे हुक्म नाल अम्बर उते तारे जगमगांदे ने।
कौण एह सानूं दाता बख्शे खावण अते हण्डावन लई।
किस ने कन्न ते मुंह हन दित्ते सुणन अते सुणावन लई।
जो वि आवे मुरशद पूरा एह परतख विखा देन्दै।
कहे अवतार इस बिछड़ी रूह नू सतगुरु रब मिला देन्दै।
धन निरंकार जी।।।।
"सूरज ते चन्न कीहदे हुक्म नाल चढ़दे ते डुब जांदे ने।
किहदे हुक्म नाल अम्बर उते तारे जगमगांदे ने।
कौण एह सानूं दाता बख्शे खावण अते हण्डावन लई।
किस ने कन्न ते मुंह हन दित्ते सुणन अते सुणावन लई।
जो वि आवे मुरशद पूरा एह परतख विखा देन्दै।
कहे अवतार इस बिछड़ी रूह नू सतगुरु रब मिला देन्दै।
धन निरंकार जी।।।।
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