Friday 10 August 2012

" Bhakti geet"

धन निरंकार जी





" कीन्हा  सोना  है  तेरा  सरनामा  अंग  संग  तू  वसदा

तेरे  सदके  इलाही  ढोला  जावा  अंग  संग  तू  वसदा "


मैहर  कित्ती   ढोला  वे  तू  सानु  अपना लिया

नीच  ते   निमानी   नु  गल  नाल  ला  लिया

आईयां  मैहर  दिया  ठंडिया  हवावां  अंग  संग  तू  वसदा


पावें  होवा  घर  विच  या  वा दूकान  ते 

नाल  नाल  रहंदा  है  तू   हर एक  स्थान  ते 
  
तेनु  छड  के  मैं  किथे  जावा  अंग संग तू वसदा


कीन्हा सोना है तेरा सरनामा अंग संग तू वसदा

तेरे सदके इलाही ढोला जावा अंग संग तू वसदा "


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