Friday 27 July 2012

Dhan nirankar ji

Dhan Nirankar ji
बुक भर-भर बाबा जी, संता नू देयो सौगातां,
की घाटा तेरे दर ते, बिन मंगयां देयो सब दातां !
सेवा ते सिमरन ही, जीवन दा अंग बन जावे,
जीवन दे हर पासों, खुशहाली नजर ही आवे !
सोने जेहे दिन होवण, अते चांदी वरगी राता,
बुक भर-भर बाबा जी, सन्ता नु देयो सौगातां !
धन निंरकार जी ...

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