धन निरंकार जी .......
"सच्चे पातशाह मेरी बक्शो खता मैं निमाणा
तू बेअंत तेरा अन्त न जाना ! "
दर तेरे सव्वाली जो आये मुह मांगिय मुरादा पाए
मैं आया शरनी लगा लो चरनी बिरथ पछाना
तू बेअंत तेरा अन्त न जाना !
मैनू लगे न माया दा चोला अपने दर दा बना दो जी भोला
हर दम बन्दगी करा तेरी हाजरी भरा जद तक प्राण
तू बेअंत तेरा अन्त न जाना !
धन निरंकार जी .......
No comments:
Post a Comment
God Is one